ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का ऐलान है कि UPCL के घोटालों की फ़ाइलें खोली जाएंगी और UPCL को घाटे में लाने वाले तमाम ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी उन्होने सभी घोटालों की फ़ाइलें तलब कर ली हैं और उनका अध्ययन कर हरक सिंह रावत दोषियों पर एक्शन लेंगे
मतलब साफ है तीनों निगमों में घोटाले के घड़ियाल अपना खेल दबंग हरक के सामने नही खेल सकते है
ऐसे में सवाल सीधा सा है कि क्या ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत सभी छोटे से लेकर बड़े मगरमच्छों पर जल्द कारवाई करते नज़र आएंगे

इसमें बात हम फिलहाल
UJVNL की करते है
क्योकि UJVNL में भी घोटाले के घड़ियाल खेल करते रहे हैं।
यहां टरबाइन घोटाला, ईआरपी घोटाला, शक्ति नहर पर सोलर प्लांट स्कैम और भर्ती घोटाला हो चुका है लेकिन पारदर्शी जांच का इंतजार है।

  • पर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत जी आजकल मनेरी भाली डीजीएम ( प्रोजेकट मैनेजर सतीश कुमार पर भी कुछ आरोप लग रहे है बताया जा रहा है कि ये उत्तराखंड की कंपनियों के मालिको को काम ना देकर उनका गला घोंटने जैसी चाल चल रहे है ओर बाहर के लोगो को खूब नियमो को ताक पर रखकर काम दे रहे है
    आरोप लग रहे है कि मनेरी भाली उत्तरकाशी के डीजीएम ( प्रोजेकट मैनेजर सतीश कुमार मनमानी पर उतारू है
    बताया जा रहा है कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने सुरक्षा बाढ़ दीवार मनेरी झील के किनारे सुरक्षा बाढ़ नियंत्रण दीवार के लिए लगभग साढ़े 7 करोड़ का निविदायें निकाली जिसमे 8 कम्पनियो ने इसमें टेंडर भरे पर यहा टेक्निकल बीट में 5 को बाहर कर दिया गया और आरोप है कि सेटिंग गेटिंग वाली कपनी को क्वालीफाई कर दिया गया
    सूत्र बताते है ओर आरोप है कि ये सब कुछ सतीश कुमार के इशारो पर होता है एक बार फिर आपको समझाते है उत्तराखंड जल विद्युत निगम मनेरी भाली 2 के द्वारा निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें 8 निविदाएं डाली गई थी
    जिसमें की 1.a.p.s.
    2.स्टार कॉन
    3.JV of M/S हिलवेज / संगम को तकनीकी बिट में लिया गया और बाकी पांचों फर्मों को तकनीकी बिट से बाहर कर दिया गया हैरानी की बात तभ हुई जब उत्तराखंड में करोड़ो का काम लगातार करने वाली कंपनियों को भी सिर्फ इसलिए बाहर करने का बेवजह रास्ता निकाला जिससे वे अपने चहेतों को काम दिलवा सके
    बताया जा रहा है कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम के (DGM ) सतीश कुमार के विवादों में रहने के कारण जो उजागर हो रहे है या कह लीजिए उन पर जो आरोप लगाए जा रहे है वो इस प्रकार है

1. उत्तराखंड की जानी मानी प्राइवेट लिमिटेड फार्म को मनेरी भाली  के dgm   सतीश कुमार द्वारा मात्र 7.5 करोड़ के कार्य में तकनीकी विट से बाहर कर दिया जाता है जबकि जल विद्युत परियोजना के , (MB द्वितीय) मे उसी फर्म को 14 करोड़ के कार्य में तकनीकी बिट में क्वालीफाई कर दिया गया था अब सवाल ये उठता है कि क्या जल विद्युत निगम के अलग-अलग डिवीजन में अलग-अलग नियम अपनाए जाते हैं ?
2. जब उसी फर्म को 14 करोड़ के काम में टेक्निकल में क्वालीफाई किया गया तो फिर 7.5 करोड़ के काम में डिसक्वालीफाई क्यों कर दिया गया सबसे बड़ा सवाल यही है?

एक मुदा ये भी उठ रहा है
जब मनेरी भाली प्रथम द्वारा 60 करोड़ के टेंडर जब निविदा के समय दो ही टेंडर आए थे
तो निविदा का समय क्यों नहीं बढ़ाया गया
जबकि अगर निविदा का समय बढ़ाया गया होता तो अन्य कंस्ट्रक्शन कंपनियां निविदा में भाग लेती जिससे सरकार को राजस्व का लाभ अर्जित होता पर कहा ये जा रहा है कि जानबूझकर सरकार को क्षति पहुंचाई गई और अपनी चेहते कंपनी को सरकारी दरों से अतिरिक्त दरों पर 60 करोड़ का काम खोला गया
जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री के शिकायत निवारण पोर्टल में हैं

सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात यह कि वर्क स्टीमेट में आइटम m90 का प्रबंधन था परंतु टेंडर में m60 मांगी गई जिससे या प्रतीत होता है कि किसी विशेष सेटिंग गेटिंग वाली कंपनी को टेंडर देने के लिए सुविधा अनुसार शर्तें बदली गई

जब टेंडर बिट नंबर -12NCB/MB-1/marowi/2020-21 खोला गया मात्र दो टेंडर के आधार पर ही खोल दिया गया जो नियम के विपरीत था प्रश्न चिन्ह कैसे

बहराल ये वो सभी सवाल है जिनका जवाब तलाशने के लिये
जाँच होनी जरूरी है
ओर तब तक के लिए क्या निविदाओं की प्रकिया को रद्द कर नही कर देना चाहिए ??
कहा ये भी जा रहा है कि यदि जांच हो गई तो बड़े बड़े मगरमच्छ भी चपेट में आजायेंगे
बहराल अब देखना ये है उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ओर इंसाफ परख उर्जा मंत्री इस पूरे मामले पर कब तक जाच बैठाते है क्योंकि सवाल तो जहा स्थानीय कंपनियों का गला घोंटने का है वही सरकार को भी खूब चूना लगने जैसी बात निकल कर आ रही है
बहराल देखना ये होगा कि ऊर्जा मन्त्री पूरे मामलों की जांच कबतक करवाते है और यदि आरोप सही है तो फिर एक्शन कब लेते नज़र आते है

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