राजनीति अब पहले जैसी नहीं रही।
आज कई राजनीतिक दलों को सिर्फ सरकार बनाने से मतलब है, तो कई राजनेताओं को स्वार्थ सिद्ध के लिए दल बदलने से भी परहेज नहीं है चाहे उन्हें उसके लिए अपनी विचारधारा ही क्यों न छोड़ना पड़े।
मैं शुरू से ही कांग्रेस पार्टी से उसकी समता, समरसता, समानता की विचारधारा और सामाजिक न्याय की अवधारणा के कारण जुड़ा क्योंकि कांग्रेस पार्टी में कभी भी किसी व्यक्ति के साथ उसकी जाति, धर्म, भाषा और संस्कृति के कारण भेदभाव नहीं किया जाता है।

दरअसल जो स्थिति 2016 में Harish Rawat जी की सरकार में पैदा हुई थी उसी का नतीजा है आज भी, तब भाजपा को सिर्फ हरीश रावत जी की सरकार गिराने से मतलब था उन्हें उस समय लोकतंत्र की हत्या करने में भी एक तरह का राष्ट्रवाद नजर आ रहा था लेकिन आज जो दल बदलने की ये प्रक्रियाएं हो रही हैं सब उसी का परिणाम है।।

मैं व्यक्तिगत रूप से इस तरह के जोड़तोड़ में विश्वास नहीं करता हूं क्योंकि मेरे लिए अपनी विचारधारा अपनी आकांक्षाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।।

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