देहरादून
उत्तराखंड के श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ह्दय रोग विभाग में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) तकनीक से सफल कॉर्डियक प्रोसीजर किया गया
। देश व दुनिया में उपलब्ध कॉडियोलॉजी उपचार की अब तक की सबसे आधुनिक तकनीकों में से टीएवीआर कॉर्डियक प्रोसीज़र सबसे नवीन, प्रभावी व अत्याधुनिक तकनीक है। टीएवीआर तकनीक को वर्ष 2011 में पहली बार भारत में किसी मरीज़ पर प्रयोग के लिए लाया गया। टीएवीआर तकनीक से किसी ह्दय रोगी का उपचार होना श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल सहित उत्तराखण्ड के समस्त मेडिकल जगत के लिए गौरवमयी उपलब्धि है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ तनुज भाटिया व उनकी पूरी टीम को टीएवीआर तकनीक से किये गए सफल प्रासीज़र की बधाई व शुभकामनाएं दीं।
श्री राधोश्माम (74) निवासी देहरादून को लंबे समय से ह्दय रोग सम्बन्धित बीमारी की शिकायत थी। बीमारी की वजह से उन्हें सांस फूलना, चलने में परेशानी, हल्की खांसी, सीने में भारीपन व बैठे बैठे अचानक बेहोशी की परेशानियां थीं मेडिकल साइंस में इस बीमारी को एओआरटिक स्टेनोसिस (महाधमनी में अवरोध की शिकायत) कहा जाता है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ ह्दय रोग विशेषज्ञ व कैथ लैब डायरेक्टर डॉ तनुज भाटिया ने इनका प्रारम्भिक परीक्षण किया व जॉचें करवाई। जॉचों में एओआरटिक स्टेनोसिस (महाधमनी में अवरोध की शिकायत) की पुष्टि हुई। डॉ. तनुज भाटिया ने टीएवीआर तकनीक से उपचार का निर्णय लिया। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की आधुनिक कैथ लैब में 3 घण्टे तक चले प्रोसीजर में मरीज़ का सफल उपचार किया गया। उपचार के बाद मरीज़ स्वस्थ्य हैं व उन्हें अस्पताल से दो दिनों में छुट्टी दे गई है।
एओआरटिक स्टेनोसिस: सर्जरी बनाम टीएवीआर तकनीक
एओआरटिक स्टेनोसिस का उपचार ओपन हार्ट सर्जरी विधि व टीएवीआर तकनीक में उपलब्ध है। एओआरटिक स्टेनोसिस का उपचार ओपन हार्ट सर्जरी विधि से करना अधिक जटिल व जोखिम भरा है। इसकी तुलना में टीएवीआर तकनीक में मरीज़ 3 या 4 दिन भर्ती रखकर मरीज़ को आसानी से छुट्टी दे दी जाती है।