दिल्लीः केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया। उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने गुरुवार की शाम को उनके निधन के बारे ट्वीट कर जानकरी दी। चिराग ने अपने बचपन का एक फोटो ट्वीट किया, जिसमें वे पासवान के गोद में बैठे हैं और लिखा है- “पापा… अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है कि आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ है।” 74 साल के रामविलास पासवान पिछले कुछ हफ्तों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के साकेत स्थित अस्पताल में भर्ती थे। उनके पास केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय था। रामविलास पासवान पिछले 5 दशक से भी ज्यादा वक्त से राजनीतिक में सक्रिय थे और देश के सबसे बड़े दलित नेताओं में उनकी पहचान होती थी।

हाल ही में हुई थी हार्ट सर्जरी

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान पिछले करीब एक महीने से दिल्ली के अस्पताल में भर्ती थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हार्ट सर्जरी थी। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग पासवान को फोन कर केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।

 

पीएम ने कहा- मजबूत सहयोगी खो दिया

रामविलास पासवान के निधन पर प्रधानमंत्री ने दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘एक ऐसा शून्य हो गया है, जिसे शायद कभी नहीं भरा जा सकेगा। राम विलास जी का जाना यह व्यक्तिगत क्षति है। मैंने अपना दोस्त और मजबूत सहयोगी खो दिया’।

 

राष्ट्रपति ने कहा- देश ने विजनरी नेता को खो दिया

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘देश ने एक विज़नरी नेता को खो दिया है। वह संसद में सबसे सक्रिय और लंबे समय तक सेवा करने वाले सदस्यों में से एक थे। वह दबे कुचलों की आवाज थे’।

 

कद्दावर नेताओं में से एक थे

5 जुलाई 1946 को खगरिया जिले के शाहरबन्‍नी के एक दलित परिवार में जन्‍मे रामविलास पासवान की गिनती बिहार ही नहीं, देश के कद्दावर नेताओं में की जाती थी। जेपी के दौर में वे भारतीय राजनीति में उभरे।

 

5 दशक से ज्यादा संसदीय अनुभव

रामविलास पासवान देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे। उनके पास 5 दशक से भी ज्यादा का संसदीय अनुभव था जिसमें वह 9 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे।

रामविलास पासवान को भारतीय राजनीति का ऐसा नेता माना जाता है जो बहुत जल्द ही हवा का रुख पहचान लेते थे। कभी कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान वह जेल गए तो उसी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे। तब जो बीजेपी उनकी नीतियों का विरोध करती थी उसी एनडीए की सरकार में पासवान मंत्री भी रहे।

 

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