पहाड़ी भाषा में कहते हैं कि कोर कमेटी की मर गयी कोर! 

त्रिवेंद्र सरकार बनने के लगभग साढ़े तीन साल बाद कोर कमेटी की इस तरह की पहली हाईटेक मीटिंग के आयोजन का परिणाम चैम्पियन के रूप में आज पूरे प्रदेश के समक्ष है
पिछले साढ़े तीन साल की सरकार में अब भी तीन मंत्रियों के पद खाली चल रहे हैं उस समस्या का कोई परिणाम बैठक में नहीं निकला
यहां कोरोना मैच में लगातार स्कोर बढ़ा रहा है उसकी कोई चर्चा कोर कमेटी की बैठक में नहीं हुई। विधायक महेश नेगी पर सैक्सुअल हरासमेंट का खुला आरोप है, उस पर कोई फैसला कोर कमेटी ने नहीं लिया।
भाजपा की पूरी कोर कमेटी इसलिए बैठा दी गयी कि कुंवर प्रणव चैम्पियन को वापस पार्टी में लेना ही लेना है!
आखिर ऐसा किसके इशारे पे किया गया? आखिर ऐसी क्या मजबूरी भाजपा कोर कमेटी की हो गयी थी कि उसने उत्तराखण्ड को अपशब्द कहने वाले हल्के चरित्र के चैम्पियन को पार्टी में वापस ले कर बैठक की इतिश्री कर डाली।

कोर कमेटी को कोरोना संक्रमण पर भी चर्चा करनी चाहिए थी, चर्चा तो कोरोना काल के चलते घर वापस आये बेरोजगार प्रवासी युवाओं पर भी होनी चाहिए थी। चर्चा तो बिना इलाज के दम तोड़ रही गर्भवती महिलाओं पर भी होनी चाहिए थी।
चर्चा सरकार के खिलाफ बने हुए माहौल पर भी होनी चाहिए थी। चर्चा पहाड़ के ठगे हुए पूर्ण पहाड़ियों पर भी होनी चाहिए थी। चर्चा तो इस विषय पर भी होनी चाहिए थी कि ये आधा पहाड़ी होने वाला साहित्यिक डायलाग किस परिस्थिति में किस के द्वारा कुंवर प्रणव चैम्पियन को रटाया गया।

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं जी हां भाइयों बहनों….. उत्तराखंड क्या बोलता है अब (कुँवर प्रणव सिंह चैपियन )

Posted by बोलता उत्तराखंड़ on Wednesday, August 26, 2020

भाजपा में वापसी के कुछ ही घण्टों के बाद एक बार फिर चैम्पियन ने अपनी चाल और चरित्र का एक्सपोज जी भर के किया तथा उत्तराखण्ड भाजपा की कोर कमेटी सहित पूरे पहाड़ी राज्य के मुंह पर जोरदार तमाचा लगाया।
प्रधानमंत्री मोदी का अनुसरण करने वाली उत्तराखण्ड भाजपा आज चैम्पियन के हथियार प्रदर्शन तथा हूटर संस्कृति पर मौन साधे हुए है।
चैम्पियन को कई भाषाओं का ज्ञाता बताने वालों के हलक से भी लाख कोशिशों के बावजूद आवाज नहीं निकल रही है।
चैम्पियन पर फैसला लेने वाले आये, फैसला लिया और निकल लिए किन्तु राजनीतिक गलियारों में तो यहां तक खबर है कि भाजपा का एक बड़ा खेमा ही भाजपा को सबक सिखाने के मूड में है जिसके चलते ऐसा आत्मघाती फैसला थोप कर उत्तराखंड भाजपा को दोराहे में उतार दिया गया है।
वही उत्तराखण्ड भाजपा की मौसेरी बहन कांग्रेस भी शांत है। आम आदमी पार्टी का विरोध प्रदर्शन जारी है।
ऊंट किस करवट बैठेगा ये वक़्त बताएगा किंतु मोदी की उत्तराखण्ड भाजपा के ऊपर आज बहुत सारे प्रश्न चिन्ह लग चुके हैं, जिनका जवाब भी कोर कमेटी को ही देना है। 2022 भी नजदीक है।
खुदा खैर करे।

 

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