मेरठ। 15 जनवरी से चल रहे कुंभ में प्रयागराज के लिए यूं तो शहर से रोजाना दो (नौचंदी-संगम एक्सप्रेस) ट्रेन और एक ट्रेन सप्ताह में दो दिन (उधमपुर-प्रयागराज एक्सप्रेस) जाती है, लेकिन इन ट्रेनों के कई-कई घंटे लेट होने से मेरठ से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। अपने शहर की लेटलतीफी से परेशान यात्री गाजियाबाद, दिल्ली से ट्रेन पकड़ने को मजबूर हैं। शहर से नियमित चलने वाली नौचंदी एक्सप्रेस और संगम एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें छह-छह घंटे की देरी से चल रही हैं। प्रयागराज में चल रहे कुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने की प्लानिंग कर रहे लोगों के सामने शहर से ट्रेन ही सबसे बेहतर विकल्प है, ट्रेनों की लेटलतीफी और रिजर्वेशन की अनुपलब्‍धा इसमें बाधा बन रही है।

हमें गाजियाबाद से पकड़नी पड़ी ट्रेन : रीना

शिक्षिका रीना चाहल ने बताया कि वह एक फरवरी को परिवार सहित कुंभ स्नान के लिए गई थीं। चार फरवरी को प्रयागराज से लौटी रीना ने बताया कि वह नौचंदी या संगम एक्सप्रेस से प्रयागराज जाना चाहती थीं, लेकिन दोनों ट्रेनें लेट होने की वजह से इनमें जाना कैंसिल कर दिया था। इसके बाद वे गाजियाबाद से एक फरवरी की रात 9.56 बजे प्रयागराज एक्सप्रेस से गईं। उसने निर्धारित समय से करीब आधा घंटा पहले 6.30 पर ही पहुंचा दिया था। वापसी में रीवा एक्सप्रेस ने गाजियाबाद स्टेशन पर 12.30 घंटे लेट उतारा था।

हम दोस्तों के साथ वॉल्वो बस लेकर गए : विपिन

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विपिन चौधरी ने बताया कि वह उन्हें मौनी अमावस्या पर कुंभ स्नान करना था, लेकिन संगम-नौचंदी एक्सप्रेस के रोजाना लेट होने से हमने खुद की बस किराए पर लेकर प्रयागराज जाना मुनासिब समझा। लिहाजा हम सभी दोस्त मिलकर वॉल्वो बस किराए पर लेकर गए। बस ने हमें समय से प्रयागराज और वापस मेरठ पहुंचा दिया था। व्यापारी मुकुल गोयल .का कहना है कि अगर नौचंदी और संगम में टिकट मिल भी जाए तो इस बात की गारंटी नहीं कि आना और जाना समय से हो पाएगा। क्योंकि दोनों ट्रेन नियमित रूप से लेट चल रही हैं। न तो रेलवे का इस ओर ख्याल है और न ही हमारे जनप्रतिनिधि ही कुछ कर पा रहे हैं।

हवाई सफर का तो इरादा भी छोड़ दीजिए

मेरठ से उड़ान अभी शुरू नहीं हुई है, लिहाजा अगर प्रयागराज उड़कर जाना चाहते हैं तो सबसे पहले दिल्ली जाना होगा। इतना ही नहीं, दिल्ली पहुंचते ही दूसरी अन्य समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। सामान्य दिनों में दिल्ली से प्रयागराज और वाराणसी का हवाई किराया 3500-5500 रुपये के बीच रहता है, लेकिन कुंभ के कारण स्थिति एकदम बदल गई है। अब न्यूनतम किराया 15-16 हजार और अधिकतम 62-63 हजार रुपये के बीच है। इस पर भी डायरेक्ट फ्लाइट मिल जाए तो स्वयं को भाग्यशाली समङिाए। ज्यादातर उड़ानें ऐसी हैं जो आपको इतना घुमा-फिराकर ले जाएंगी कि आप सोचने को विवश होंगे कि ट्रेन क्यों नहीं ली। इक्का-दुक्का डायरेक्ट फ्लाइट को छोड़ ज्यादातर उड़ानें लखनऊ, पटना, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद होते हुए आपको 10-15 घंटे में प्रयागराज अथवा वाराणसी पहुंचाएंगी। कुछ उड़ानें तो ऐसी हैं, जो अगले दिन पहुंचाती हैं।

कोहरे के कारण लेट होती हैं ट्रेन : स्टेशन अधीक्षक

सिटी स्टेशन अधीक्षक आरपी शर्मा ने बताया कि ट्रेन लेट होने का कारण कोहरा है। कुंभ यात्रियों की संख्या आम दिनों की तरह ही है। सामान्य तौर पर दोनों ट्रेनों में 10-15 दिनों की वेटिंग आम है। ट्रेनों के लेट होने का कारण कोहरा है। दोनों ट्रेनें एक फरवरी से ज्यादा लेट हुईं। इससे पहले लगभग अपने निर्धारित समय से ही चल रही थीं। स्टेशन अधीक्षक संगम-नौचंदी के लिए कोहरे की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन क्या कोहरा का फैक्टर सिर्फ इन्हीं ट्रेनों के लिए है। प्रयागराज सरीखे ट्रेनें कैसे समय से चलती हैं। इतना ही नहीं, सामान्य मौसम या सालभर में शायद ही ऐसा कोई सप्ताह निकला हो जब संगम-नौचंदी एक्सप्रेस समय से आई-गई हों।

सामान्य बसों से कैसे करें 729 किमी का सफर

मेरठ से प्रयागराज की दूरी 729 किमी है। इतना लंबा सफर सामान्य बसों में कर पाना बहुत दुरुह होता है। इसीलिए रोडवेज को मेरठ से कुंभ जाने वाले यात्री नहीं मिल रहे हैं। कुंभ स्नान के लिए रोडवेज ने 180 बसों का इंतजाम किया था, लेकिन दूरी ज्यादा होने के कारण यात्री सामान्य बसों से जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

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