यदि ऐसा ही हिसाब रहा तो जिन लोगों ने नींबू व माल्टा का पेड़ कहीं लगाया भी होगा, तो उसे भी उखाड़ कर फेंक देंगे
देहरादून: नए कृषि बिल को लेकर किसानों और सरकार के बीच गतिरोध जारी है। इसको लेकर किसान कई हफ़्तों से केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। वहीँ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस बिल का विरोध किया है।
हमेशा से ही पहाड़ के उत्पादों की बात करने वाले हरदा ने इस बिल के नुक्सान गिनाते हुए स्थानीय माल्टे, संतरा और नीम्बू का उदाहरण देकर अपनी अपनी बात को रखा है।
हरीश रावत ने लिखा कि, “माल्टे की बेकद्री से मैं बहुत चिंतित हूं। हमारा माल्टा, संतरा और नींबू बहुत स्वादिष्ट हैं। लोगों से कहा जा रहा है कि आप 3 किलो नींबू व 7 रुपया किलो माल्टा बेचो और वो भी खरीद केंद्र पर खरीदा जायेगा।
जितना मूल्य नहीं मिलेगा, उससे ज्यादा ढुलाई लग जायेगी। राज्य सरकार या तो ढुलाई के दाम भी खुद दे और मेरा सुझाव है कि यदि खरीद मूल्य घोषित भी कर दिया है, तो नींबू व माल्टा पर 2-3 रुपया बोनस प्रति किलो के हिसाब से दीजिये, जिससे कम से कम माल्टा और नींबू पैदा करने वाला काश्तकार कुछ तो राहत महसूस करे और आगे नींबू व माल्टे लगायेगा।
यदि ऐसा ही हिसाब रहा तो जिन लोगों ने नींबू व माल्टा का पेड़ कहीं लगाया भी होगा, तो उसे भी उखाड़ कर फेंक देंगे और मैं राज्य सरकार को यह भी सुझाव दूंगा कि नींबू, माल्टा व संतरे का जो रस बनाकर के उसकी प्रोसेसिंग करने वाले लोग हैं, उनको भी प्रोत्साहित करिये और तब तक जो लोग कर रहे हैं, उन तक पहुंचिये और उनसे कहिये कि आप खरीदो और सरकार की तरफ से आपको प्रोत्साहन दिया जाएगा।“