उत्तराखंड में नशे और एचआईवी/एड्स जनजागरूकता अभियान से जोड़े जायेंगे युवा- डॉ आर राजेश कुमार


केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की टीम ने किया देहरादून और हरिद्वार जनपद का निरीक्षण

नशे और एचआईवी मुक्त उत्तराखंड को लेकर जल्द शुरू होगा अभियान

देहरादून।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने भारत को एड्स मुक्त बनाने के लिए 95-95-95 फार्मूले के तहत रणनीति बनाई है। केंद्र सरकार की मंशा के मुताबिक 2030 तक भारत पूरी तरह से एड्स मुक्त हो जाएगा। फिलहाल देश में 24 लाख से अधिक एचआईवी पॉजिटिव मौजूद हैं। इसी कड़ी में भारत सरकार स्वास्थ्य विभाग की राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की टीम तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर है। अपने इस दौरे में टीम ने हरिद्वार व देहरादून जनपद में ग्रांउड जीरो पर जाकर उत्तराखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण और मूल्याकंन किया। टीम के सदस्यों ने आज स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात की। उन्होंने राज्य में उत्तराखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा किये जा रहे कार्यों का संतुष्टि जाहिर करते हुए भविष्य में इसको कैसे और बेहत्तर किया जा सकता है इस पर चर्चा की। इसके साथ ही राज्य में युवाओं में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति पर भी टीम ने चिंता जाहिर करते हुए बड़े स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम चलाने की बात कही। सचिव स्वास्थ्य डॉ आर राजेश कुमार ने टीम से कहा नशे में जागरूकता को लेकर व्यापक कार्यक्रम चलाने को लेकर संर्पूण कार्ययोजना तैयार है जिसमें राज्य को केन्द्र के सहयोग की जरूरत है। केन्द्र स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस पर सहमति जाहिर की।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की टीम ने स्वास्थ्य सचिव से नई गतिविधयों और नवीनीकरण पर चर्चा की। चारधाम यात्रा में उत्तराखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की भूमिका पर विस्तार से बात की गई। टीम ने स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया कि केन्द्र द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग एवं रोकथाम जैसे सभी पहलूओं का समन्वय और देखरेख की जा रही है।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा नशा मुक्ति को लेकर मद्द करे केन्द्र

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने केन्द्र से आई टीम को उत्तराखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि नशा और एड्स मुक्त उत्तराखंड को लेकर युद्वस्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिसका परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। नशे के खिलाफ जागरूकता को लेकर संर्पूण कार्ययोजना तैयार है जिसमें राज्य को केन्द्र के सहयोग की जरूरत है। केन्द्र स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस पर सहमति जाहिर की।

कोरोनेशन अस्पताल में शीघ्र होगी संपूर्ण सुरक्षा केन्द्र की स्थापना

देहरादून जिला अस्पताल कोरोनेशन में शीध्र संपूर्ण सुरक्षा केंद्र की स्थापना होगी। यह केन्द्र सिंगल विंडो सिस्टम के तहत कार्य करेगा। इसमें एचआईवी के साथ हैपोटाईटिस, टीबी व अन्य गंभीर बीमारियों का भी इलाज हो सकेगा। अभी तक इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इस केन्द्र में मरीजों की काउसंलिग होगी। इसके साथ ही मरीजों के मेंटल, सोशल, व अन्य सामाजिक सुरक्षा के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रम स्थापित होंगे। नाको ने इसकी स्वीकृति दे दी है। कार्ययोजना की सहमति मिलते ही शीघ्र कार्य शुरू होे जायेगा।

राज्य की सभी जेलों में चलेंगे जागरूकता कार्यक्रम

राज्य की सभी जेलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बारे में योजना तैयार की जा रही है। जिलों में एचआईवी सहित तमाम गंभीर बीमारियों को लेकर जागरूक किया जायेगा। इसके साथ ही स्क्रीनिंग को लेकर कार्य किया जायेगा ताकि गंभीर बीमारियों की चपेट में आने वाले कैदियों का समय पर इलाज हो सके।

नशा लेने वाले और एड्स मरीजों की हो नियमित काउंसलिंग

केन्द्र से आई नाको की टीम ने देहरादून और हरिद्वार जनपद स्थित ओएसटी सेंटरों का निरीक्षण करने के साथ जरूरी दिशा निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हरिद्वार में जिला कारागार और जिला क्षय रोग अस्पताल परिसर स्थित ओएसटी सेंटर का निरीक्षण किया। टीम ने नशा लेने वाले लोगों व मरीजों की काउंसलिंग अनिवार्य करने पर जोर दिया। इसके साथ ही एड्स मरीजों की भी नियमित काउंसलिंग के निर्देश दिए। टीम ने कहा कि नशा मुक्त भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार ने नशे के दवाओं की मांग को कम करने के लिए सार्थक कदम उठाए।

ये रहे टीम में मौजूद
स्वास्थ्य सचिव से मुलाक़ात के दोरान महानिदेशक स्वास्थ्य उत्तराखंड विनीता शाह, केंद्र से आयी स्वास्थ्य विभाग की टीम में उप निदेशक स्वास्थ्य भारत सरकार डॉ. भवानी सिंह, स्वास्थ्य विभाग की राष्ट्रीय सलाहकार पारुल, कार्तिक, राज्य एड्स नियंत्रण समिति के उपनिदेशक संजय बिष्ट, सुनील सिंह के अतिरिक्त डीटीओ आरके सिंह, टीम लीडर सेतू हरमेन्द्र सिंह, सेतू के उत्तराखंड इंचार्ज सौरभ गुप्ता, अपर परियोजना निदेशक डॉ अजय नागरकर और डीडीटीआई के संजय सिंह मौजूद रहे।

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