सबसे बड़ी ख़बर : क्या होगा दूध का दूध और पानी का पानी ! मुख्यमंत्री तीरथ रावत के निर्देश के बाद S.I.T का गठन ( फर्जी कोरोना टेस्ट मामला
*मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद कुंभ कोविड टेस्टिंग घोटाले में एस-आइ-टी का गठन*
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एसआईटी का गठन किया गया है
इसके लिए एसएसपी हरिद्वार ने एसआईटी टीम गठित कर दी है
हरिद्वार कुंभ मेले में कोविड जांच को लेकर हुए फर्जीवाड़े पर सीएम तीरथ सिंह रावत और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अब आमने-सामने
बात हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच फर्जीवाड़े के मामले की है
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कह चुके है कि यह मामला उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले का है।
तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि यह जांच में पता चल जाएगा कि मामला किस कालखंड का है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है, कुंभ मेले की अधिसूचना हमारे समय में हुई थी, जो पहली अप्रैल से 30 अप्रैल तक के लिए थी।
कल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि ये मामला पुराना है। मैं मार्च में आया हूं। जब मैंने इसकी छानबीन की। मैं दिल्ली में था, मैंने दिल्ली से आते ही मामले की जांच बैठाई। मैं चाहता हूं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।
वहीं मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह हत्या के प्रयास का मामला है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि मामले की न्यायिक जांच कराएं। कहा कि जनता के सामने यह भी आना चाहिए कि यह किस दौरान का मामला है। आखिर कब इस तरह के लाखों टेस्ट हुए और कब उन्हें नेगेटिव दिखा दिया गया। मुख्यमंत्री के बयान का स्वागत करता हूं। उस पर मैं गहरी जांच की मांग करता हूं।
उन्होंने कहा, मुझे ऐसा ध्यान है कि कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे। इसमें टेंडर हमारे समय में नहीं हुआ। यदि टेंडर हुआ होगा तो मेला प्रबंधन के द्वारा हुआ होगा। नोटिफिकेशन हमारे समय में हुआ था, जो एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक का था। अब यह जांच का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार, सरकार होती है। पोजिशन व्यक्ति की बदलती रहती है। कोई भी सरकार यदि उसमें लिप्त है तो उसकी जांच का विधान है। अच्छी एजेंसी से जांच कराकर स्पष्ट हो जाना चाहिए कि कब की गड़बड़ है और किसकी गड़बड़ है। सुसंगत धाराओं में ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।