कौन बनेगा मुख्यमंत्री , कई संभावित नाम , कई चेहरे , कही इसबार भी कोई सरप्राईज नाम तो नहीं है बीजेपी आलाकमान के मन मे
प्रदेश की भाजपा सरकार में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की विदाई तय होने के साथ ही सियासी फिजां में अब यह सवाल तैरने लगा है कि अगले आठ माह के लिए यह कांटों भरा ताज किसके सिर सजेगा। मुख्यमंत्री भाजपा विधायकों में से ही होगा या फिर गैर विधायक को भाजपा नेतृत्व जिम्मेदारी सौंपेगा, इसे लेकर भाजपा विधायक दल की शनिवार को होने वाली बैठक पर सभी निगाहें टिकी हैं। हर कोई टकटकी लगाए है कि भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर किसका नाम लेकर आते हैं।
नए मुख्यमंत्री के सामने त्रिवेंद्र और तीरथ सरकारों की एंटी इनकंबेंसी को अपने सिर लेने के साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वर्ष 2017 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती भी होगी। फिलवक्त मुख्यमंत्री पद के लिए राजनीतिक गलियारों में विधायकों के बीच से चार संभावित नाम चर्चा में हैं। इनमें त्रिवेंद्र और फिर तीरथ मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा.धन सिंह रावत के अलावा कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल, विधायक पुष्कर सिंह धामी व ऋतु खंडूड़ी भूषण के नाम मुख्य हैं। यह बात अलग है कि इनसे इतर भी कोई अन्य बाजी मार सकता है।हालांकि एक बार फिर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने नाम की भी चर्चाएं हो रही है ।
पिछले नेतृत्व परिवर्तन की भांति मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भाजपा हाईकमान अगर इस बार भी चौंकाने पर आया, तो गैर विधायकों पर भी भाजपा दांव खेल सकती है। सांसदों में से किसी को जिम्मेदारी सौंपने पर यह सूरत बन सकती है कि वे बतौर मुख्यमंत्री छह माह का कार्यकाल पूरा करने से दो माह पहले विधानसभा को भंग कर चुनाव की सिफारिश कर दें। ऐसे में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा के नामों पर केंद्रीय नेतृत्व विचार कर सकता है।
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भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री सतपाल महाराज गढ़वाल संसदीय सीट से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आध्यात्मिक गुरु होने के साथ ही वह सामाजिक क्षेत्र में निरंतर सक्रिय हैं। वर्ष 2017 में भाजपा के सत्तासीन होने उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के रूप में उछला। त्रिवेंद्र और फिर तीरथ मंत्रिमंडल में उन्होंने सिंचाई, पर्यटन, संस्कृति समेत अन्य विभागों का जिम्मा सौंपा गया।
पांच बार से लगातार विधायक बिशन सिंह चुफाल वर्तमान तीरथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके चुफाल पूर्ववर्ती भुवन चंद्र खंडूड़ी सरकार में भी मंत्री रहे थे। अपनी सरल, मृदुभाषी और मिलनसार छवि वाले चुफाल भाजपा संगठन में कई पदों पर कार्य कर चुके हैं। वह भाजपा के वरिष्ठतम विधायकों में शामिल हैं।
भाजपा सरकार में मार्च में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान त्रिवेंद्र सरकार में उच्च शिक्षा, सहकारिता, दुग्ध विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे डा धन सिंह रावत मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। इसके बाद तीरथ सरकार में उन्हें पिछले विभागों के साथ ही आपदा प्रबंधन देकर उन्हें फिर से राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। वह छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे। भाजपा में प्रदेश महामंत्री संगठन जैसा दायित्व भी वह निभा चुके हैं। उन्हें चुनावी कौशल में दक्ष माना जाता है।
पौड़ी जिले की यमकेश्वर सीट से भाजपा विधायक ऋतु खंडूड़ी पहली बार 2017 में विधायक चुनी गईं। वह पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री हैं। वह कुशल वक्ता और सरल स्वभाव की हैं और वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की छवि का चुनावी लाभ लेने के मकसद से भाजपा नेतृत्व उन पर दांव चल सकता है।
ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार से विधायक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले धामी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष समेत पार्टी में अन्य पदों पर कार्य कर चुके हैं और युवाओं में उनकी पकड़ को बेहतर माना जाता है। बेरोजगारी के साथ ही विकास के मुद्दों को लेकर वह प्रखर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक वर्तमान में लोकसभा की हरिद्वार सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और केंद्र की मोदी सरकार में वर्तमान में शिक्षा मंत्री हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रहे निशंक की उत्तराखंड से जुड़े विषयों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। साथ ही वह जनता बीच लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में बड़े चेहरे के तौर पर भाजपा नेतृत्व उन्हें फिर से उत्तराखंड की कमान सौंप सकता है।
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं। वह उत्तराखंड से जुड़े विषयों को लगातार केंद्र के स्तर पर उठाते आ रहे हैं और कई मसलों का समाधान कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पलायन समेत विभिन्न विषयों पर जनजागरण में भी जुटे हैं। मार्च में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान भी उनके नाम पर चर्चा हुई थी।
नैनीताल से सांसद अजय भट्ट पूर्व में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते ही भाजपा ने वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत हासिल किया। वह भाजपा संगठन में कई पदों पर भी कार्य कर चुके हैं। इसी साल मार्च में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान उनके नाम पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन तब पार्टी ने सांसद तीरथ सिंह रावत को मौका दिया।
अल्मोड़ा संसदीय सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे सांसद अजय टम्टा वर्ष 2014 में पहली बार इस सीट से लोकसभा में पहुंचे। तब मोदी सरकार में उन्हें कपड़ा राज्यमंत्री का दायित्व मिला। वर्ष 2019 में वह फिर से अल्मोड़ा सीट से विजयी रहे। पार्टी संगठन में कई पदों पर कार्य कर चुके टम्टा का व्यक्तित्व सहज, सरल है।