लखनऊ: बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई सबूत जुटाने में नाकाम रही। जज एसके यादव ने कहा मजबूत साक्ष्य नहीं हैं। नेताओं ने भीड़ को रोकने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी।
बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी विध्वंस केस में बरी होने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्पेशल कोर्ट का आज का जो निर्णय हुआ है, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम सबके लिए खुशी का दिन है।
सीएम योगी ने कहा सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई
बावरी विध्वंस केस में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है. उन्होंने कहा कि यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया. मुख्यमंत्री योगी ने कहा, इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार देश की जनता से माफी मांगे.
कोर्ट में 26 आरोपी मोजूद रहे
कोर्ट में विनय कटियार, साक्षी महाराज, साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, रामविलास वेंदाती, सतीश प्रधान, धर्मदास, पवन पाण्डेय, बृजभूषण सिंह, जयभगवान गोयल, ओमप्रकाश पाण्डेय, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, विजय बहादुर सिंह, आचार्य धर्मेन्द्र, प्रकाश शर्मा, जयभान पवैया, धर्मेन्द्र सिंह, आरएन श्रीवास्तव, विनय कुमार, नवीन शुक्ला और गांधी यादव मौजूद रहे.
CBI ने बाबरी विध्वंस को कहा था सुनियोजित साजिश
6 दिसंबर 1992 के दिन अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा ढहा दिया गया था. बाबरी विध्वंस केस में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, बाला साहेब ठाकरे, राम विलास वेदांती और उमा भारती समेत 49 आरोपी बनाए गए थे, इनमें से अब सिर्फ 32 आरोपी ही जीवित थे.
सीबीआई ने 1993 से जांच शुरू की थी
बाबरी विध्वंस मामले की जांच 27 अगस्त 1993 को सीबीआई के हवाले कर दी गई थी. ये मामला 26 सालों तक लटकता रहा. लेकिन 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सो जाना सुनवाई के आदेश दिए थे, साथ ही कहा था कि जब तक ये मामला चलेगा, तबत क जज का ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकेगा.