महाकुंभ के कोविड डेटा का महारहस्य क्यों बनाए रखना चाहती है तीरथ सरकार, फ़र्ज़ी टेस्टिंग का भंडाफोड़ हो चुका और डेथ ऑडिट व डेटा छिपाकर कौनसे सच पर पर्दा डाला जा रहा

देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ के दौरान किस तरह से टेस्टिंग के नाम पर फ़र्ज़ीवाड़ा हुआ उसका भंडाफोड़ हो चुका है। लाखों टेस्ट फ़र्ज़ी तरीके से दिखा दिए गए जो असल में कभी हुए ही नहीं थे। सवाल है कि क्या ये टेस्टिंग का आंकड़ा हाईकोर्ट की आँखों में धूल झोंकने के लिए फ़र्ज़ी तरीके से बढ़ाया जा रहा था? या सरकार और प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठाकर निजी लैब एजेंसियों ने फर्जीवाड़े का खेला कर दिया? सवाल सरकार की जांच की साँप-सीढ़ी पर भी उठ रहे हैं जो डीएम, सीडीओ से होते एसआईटी तक पहुँची है। सवाल इस एसआईटी को लेकर भी उठ रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जो सरकार और मेला प्रशासन यात्रियों के कुँभ स्नान आने से पहले रजिस्ट्रेशन के दावे कर रहा था वो कुंभ समापन के बावजूद उस तमाम डेटा तो दबाए क्यों बैठा है।

इसी मुद्दे को कोविड डेटा का अध्ययन कर रही देहरादून की सोशल डेवलेपमेंट फॉर कम्यूनिटीज( SDC) फ़ाउंडेशन ने उठाया है। एसडीसी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल सवाल उठाते हैं कि हमें इस का ध्यान रखना होगा की गलत आंकड़ों के आधार पर गलत नतीजे महामारी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ मेला-2021 को संपन्न हुए अब डेढ़ महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन, महाकुंभ मेला क्षेत्र में इस दौरान किए गए कोविड टेस्ट की कुल संख्या, पाॅजिटिव मामले, रिकवर होने वाले मरीज, मरने वालों की संख्या, पाॅजिटिविटी रेट आदि का अब तक पब्लिक डोमेन में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here