अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर की चोट तो उन्होंने बेवजह के मुद्दों पर विवाद खड़ा करना आरंभ कर दिया… पढ़े पूरी रिपोर्ट…
अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई, केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया, बीकेटीसी की आय में हुई वृद्धि, तो निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों ने संगठित होकर अजेंद्र पर बेवजह निशाना साधना आरंभ कर दिया…
अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं…
उत्तराखंड में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का तीर्थ पूरोहित समाज ने जबरदस्त विरोध किया था..
वही मुख्यमंत्री बनते ही मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया
और लोकप्रिय मुख्यमंत्री धामी ने फिर बीकेटीसी की कमान निर्विवादित स्वच्छ छवि वाले .. सरल व सादगी से भरे वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी दी
अजेंद्र अजय मतलब पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला को उठाने वाले और सार्वजनिक करने वाले व्यक्ति हैं
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की जीरो टॉलरेंस की नीति से कार्य करते हैं ..
वे अजेंद्र अजय ही है जिन्होंने उत्तराखंड में सबसे पहले लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठाया था…
मुख्यमंत्री धामी के निर्देश के बाद अजेंद्र अजय के बीकेटीसी के अध्यक्ष पद पर बैठते ही जीरो टॉलेरस की नीति के साथ कार्य करना आरंभ कर दिया… जिससे उन लोगों को तकलीफ होने लगी जिन्होंने.. जिंदगी भर.. अपने स्वार्थ के लिए काम किया ..
वे लोग चाहते थे कि.अजेंद्र अजय भी उनके हिसाब से चले जैसे इससे पहले चलता.. आ रहा था पर यह मुमकिन नहीं हुआ… बस फिर क्या था. वे सभी लोग या कह लीजिए मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए वे कुछ लोग अपने इरादे में कामयाब नहीं हो पाए
क्योंकि इनका मकसद होता है नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में ले लिया जाये…. उसे पर दबाव बनाया जाए… उसे घरेने की कोशिश की जाए और अपना स्वार्थ सिद्ध किया जाये…. और यदि उनका स्वार्थ सिद्ध ना हो तो. बेवजह के मुद्दों पर विवाद खड़ा कर दिया जाए…
पर अजेंद्र इन सबसे बेफिक्र होकर.. लगातार वह कार्य कर रहै है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ..
अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की..
और लगातार व्यवस्थाओं में भी परिवर्तन लाने का प्रयास किया है…
और यही वजह है कि उनको घरेने की कोशिश की जा रही है
मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में..
सुधारों की.. प्रक्रिया को जारी रखे हुए हैं।..
जरा जानिए
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए
साल 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था
कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका।
अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया
वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी।
अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया।
अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।