सिसौदिया जी, क्या दिल्ली में यही बदलाव लाई ‘आप’

देहरादूनः

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इन दिनों उत्तराखंड में ‘आप’ की सियासी जमीन तलाश रहे हैं। वह उत्तराखंड में बदलाव की बात कर रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की तर्ज पर देवभूमि में सुचितापूर्ण, पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन देगी, पर दिल्ली की बात करें तो धरातल पर स्थिति इससे ठीक उलट है। केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार के आधा दर्जन मामलों में जवाब देने से बच रही है। ऐसे में बड़ा, पहला और मात्र एक सवाल यह है कि देश की राजधानी में तमाम घपलों में घिरी आप सरकार जीरो टालरेंस की नीति पर चलने वाली त्रिवेंद्र सरकार के सामने आखिर कैसे खड़ी हो पायेगी।

बताया जा रहा है कि सिसौदिया ने कार्यकर्ताओं की मीटिंग में यह भी कहा कि प्रदेश सरकारों की अनदेखी के कारण उत्तराखंड के लोगों को उनका हक नहीं मिल पाया है। राज्य में संसाधन भरपूर हैं। सरकारें इन संसाधनों का दोहन नहीं कर सकी। यह भी कहा कि दिल्ली के पास अपने कोई भी संसाधन नहीं हैं। लेकिन उत्तराखंड का जन मानस इस सिसौदिया की इस बात से कतई इत्तेफाक नहीं रखता और रखेगा भी कैसे। उत्तरांखड में आज किसी को पता है कि चुनाव के समय बिजली, पानी मुफ्त मुहैया कराने का चुग्गा फेंकने वाली दिल्ली सरकार ने अब गरीबों से वसूली के नए रास्ते इजाद कर दिए हैं।

आप नेता का दावा है कि लोगों का आप पार्टी भरोसा बढ़ रहा है। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि आप की नीतियों से जब लोग नावाकिफ थे, तब दिल्ली में भ्रम की स्थितियां पैदा कर आप पार्टी ने सत्ता हासिल की। अब उनका पूरा कच्चा चिठ्ठा जनता के सामने है। उत्तराखण्ड के संदर्भ में दूसरी अहम बात जिसे अब लोग समझने लगे हैं। वह यह कि जब से राज्य में त्रिवेंद्र सरकार ने जिम्मेदारी संभाली भ्रष्टाचार निवारण की दिशा में अभूतपूर्व कार्य हुए। व्यवस्थाओं में आमूल चूल परिवर्तन हुआ है। यहां भ्रष्टाचारी गतिविधियों में लिप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों तक को त्रिवेंद्र सरकार ने नहीं बख्शा, तो अन्य की बिसात क्या है।

इन हालातों में ख्याली पुलावों पर खेलने वाली आप नेताओं के लिए उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के आगे खड़े होने तक की स्थितियां भी यहां नहीं हैं। दिल्ली में आई कैग की रिपोर्ट ने तो केजरीवाल सरकार और उसके कारिंदों की पोल खोल कर कर दी है। कैसे दिल्ली की आम आदमी सरकार ने अपने स्वार्थ साधने के लिए भ्रष्टाचार का खुला नाच किया। ऐसे में जीरो टालरेंस वाले वातावरण में आप कहां ठहर पायेगी।

एक नजर दिल्ली में केजरीवाल सरकार के कारनामों पर कैग रिपोर्ट के अनुसार

– 2,682 डीटीसी बसों का बीमा नहीं होने से एक कंपनी को करोड़ों का फायदा पहुंचाया।

– एसडीएमसी ने नाले के निर्माण और सुंदरीकरण के नाम पर 30.92 करोड़ आप ने ठिकाने लगाए।

– नौरोजी नगर और पुष्प विहार में पर्यावरण के मानदंडों की अनुपालन किए बिना नालों को ढकने के कारण 40.58 करोड़ का खर्च।

– खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अधीन लाभार्थियों के पंजीकरण में घपला हुआ।

– तीन मेडिकल कॉलेजों (टिबिया कॉलेज, बीआर सुर होम्योपैथी कॉलेज, चैधरी ब्रह्म प्रकाश चरक संस्थान) में 37 से 52 फीसदी डॉक्टर, फार्मासिस्ट और नर्स कैडर में घपला।

– दिल्ली में 68 रक्त कोषों में से 32 केंद्र बिना लाइसेंस के ही चल रहे हैं।

– 2 अक्टूबर 2014 से भारत सरकार की ओर से शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन से ढाई साल तक एक भी शौचालय नहीं बना. जबकि इसके लिए 40.31 करोड़ की रकम आवंटित की गई, लेकिन इस्तेमाल नहीं किया गया. ये कैग की रिपोर्ट है। और इससे केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी की की मंशा काफी हद तक साफ हो रही है। ऐसे में उत्तरांखड में चल रहे भ्रष्टाचार उन्मूलन कार्यक्रम में इनके पांव किसी भी सूरत में टिक नहीं पायेंगे।

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