उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि
आजकल बरसात में पहाड़ों की सड़कें टूटना, भू-स्खलन यह एक नियति है, मगर कुछ वर्षों से ये
भूस्खलन बहुत खतरनाक प्रवृत्ति के और बहुत बड़े हो रहे हैं। विशेष तौर पर सड़कों के कटाव के कारण जिसमें विस्फोटक और भारी मशीनों का उपयोग हो रहा है। किन्नौर में जो भूस्खलन हुआ है, वो हमारे लिए बड़ी भारी चेतावनी है। हमारे भी चारधाम यात्रा सुधार मार्ग में ऐसी स्थितियां कई स्थानों पर बनी हुई हैं, जहां पहाड़ दरक व टूट सकते हैं। संबंधित निर्माण एजेंसीज और ठेकेदारों को कम से कम सड़क निर्माण के 8-10 साल तक इन पर गहरी नजर रखनी चाहिए और जहां ऐसी स्थितियां हैं, वहां पहले से ही बचाव के उपाय किये जाने चाहिए नहीं तो कई निरीह लोग कालकल्वित हो जाएंगे।