#थैंक्यू_बलूनी_जी, आपने मुझे हरद्वारी लाल कहकर संबोधित किया। अल्मोड़ा के लोगों का दिल बहुत बड़ा है, उनको यह जानकर के खुशी होगी कि उनका हरीश रावत हरिद्वार का दिल जीत सका और विपक्ष को भी उसको हरद्वारी लाल कहकर संबोधित करना पड़ा। हरिद्वार हमारी उत्तराखंड की धरती का एक गौरवपूर्ण हिस्सा है और मैं जिस उत्तराखंडियत के झंडे को लेकर के चलता हूंँ, हरिद्वार उस उत्तराखंडियत के झंडे का अभिन्न अंग है और उस उत्तराखंडियत के झंडे का जो चमकीला अंश है, रंग है वो अल्मोड़ियत है। हमारी संस्कृति का गौरवपूर्ण हिस्सा अल्मोड़ा और अल्मोड़े की अल्मोड़ियत। आप चिंता न करें, आपके बड़े भाई हरीश रावत का दिल इतना बड़ा है कि वो हरिद्वार के गन्ने की लड़ाई के साथ भटवाड़ी और साईंपोतो के मडुवे की लड़ाई भी लड़ सकता है। हमने तो अपने छोटे भाइयों से बहुत कुछ सीखा। आपसे हमने मुलामियत सीखी, लेकिन कभी अपने बड़े भाई से भी सीख लो कि कैसे दिल बड़ा किया जाता है और उस दिल में सभी को कैसे समाहित किया जाता है! खैर आपने मेरे दिल को पहचाना और मुझे हरद्वारी लाल कहा, मैंने तो खुद अपने आपको गन्नामैन कहा, क्योंकि मैं गन्ने की भी लड़ाई लड़ रहा हूंँ। मैं उस हर संघर्षशील आवाज की पहचान हूंँ जो अपने विकास और अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं। आइये इस भाव में तो कम से कम, हम और आप साथ-साथ चल सकते हैं, बशर्ते मेरे साथ चलने में आपको कोई राजनैतिक नुकसान न हो। मगर आपने हरद्वारी लाल तो कह दिया और बहुत सारी बातें भी कह दी, मगर जो मेरे साथ आप विकास-विकास खेलना चाहते थे, रोजगार-रोजगार खेलना चाहते थे, उसका आपने कोई जिक्र नहीं किया वो खेल कब होगा, जरा मुझे भी उसकी तिथि-वार बता दीजिये। शायद आप कुछ वार-विपवार निकाल रहे होंगे, जब निकल जाएगा तो मुझे भी बता दीजिएगा।