देहरादून से पूजा दानू की रिपोर्ट

हरेला पर्व पर सीधी बात : मुख्यमंत्री धामी के लिए फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बनाना चुनोती  

कही भाजपा को बार-बार मुख्यमंत्री बदलना नुकसान ना पहुचा दे

ऐसा लगता है उत्तराखंड में बीजेपी आलाकमान का संकट कम नहीं हो पा रहा है। पार्टी बैटल 2022 में सूबे में सरकार रिपीट और 60 प्लस सीट जीतने का दम जरूर भर रही है लेकिन बार-बार मुख्यमंत्री बदलकर भी उसे जनता का समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। 9 मार्च को अचानक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छुट्टी और 115 दिन बाद 3 जुलाई को तीरथ सिंह रावत को भी हटा दिया गया। 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। जाहिर है बीजेपी नेतृत्व की मंशा राज्य पर थोपी गई इस राजनीतिक अस्थिरता के पीछे यही है कि 2022 में पार्टी को चुनावी जीत हासिल हो सके। लेकिन प्रदेश के लोगों का मूड ठीक इसके उलट नजर आ रहा है और बीजेपी को नये चेहरे के बावजूद वोटर्स का रिस्पांस पॉजीटिव नहीं मिल रहा है। ताजा सर्वे बीजेपी की चिन्ता पर मुहर लगा रहा है। कम से कम सर्वे एजेंसी प्रश्नम और न्यूज वेबसाइट द प्रिंट का हालिया सर्वेक्षण का नतीजा यही कह रहा। सर्वे में उत्तराखंड से शामिल 80 फ़ीसदी वोटर्स तीनों सीएम के अब तक के प्रदर्शन का समर्थन नहीं कर रहे हैं, ये आंकड़ा अपने आप में नापसंदगी का बहुत बड़ा पैमाना है।

दरअसल सर्वे एजेंसी प्रश्नम ने मुख्यमंत्रियों की तिमाही रेटिंग शुरू की है जिसके तहत पहले दौर में 67 फ़ीसदी आबादी को कवर करने वाले 13 राज्यों में मुख्यमंत्रियों की लोकप्रियता और अलोकप्रियता मापने को 17,500 वोटर्स से सवाल पूछे हैं। सर्वे में उतराखंड के अलावा, यूपी, पंजाब, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड के शामिल किया गया है।

एजेंसी प्रश्नम के दावे के अनुसार सीएम रेटिंग का ये सबसे बड़ा सर्वे था और इसमें वोटर्स से ये सवाल पूछा गया:

आपके मुख्यमंत्री (सीएम का नाम) के कार्यकाल के दौरान, उनके प्रदर्शन के बारे में आप क्या सोचते हैं?

1.) प्रदर्शन खराब है और सीएम के तौर पर उनकी वापसी नहीं होनी चाहिए।

2.) प्रदर्शन ठीक है लेकिन मैं उन्हें फिर से वोट नहीं दूँगा।

3.) प्रदर्शन अच्छा है और मैं चाहता हूँ मैं चाहता हूँ वो फिर सीएम बनें।

4.) मेरा कोई विचार नहीं है।

उत्तराखंड का मामला सबसे भिन्न है क्योंकि यहां साल भर में तीसरा सीएम आ गया है। लिहाजा सर्वे में बदलाव करते हुए किसी सिर्फ मौजूदा सीएम चेहरे की बजाय चौथी विधानसभा में रहे अब तक के सभी मुख्यमंत्रियों के मिले-जुले प्रदर्शन के बारे में वोटर्स से पूछा गया है। सर्वे में 47 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके मुख्यमंत्रियों का प्रदर्शन खराब रहा और 31 फीसदी ने माना कि प्रदर्शन तो ठीक था लेकिन वो दोबारा उन्हें वोट नहीं देंगे। 11 फीसदी ने अच्छा और इतने ही लोगों ने कोई मत जाहिर नहीं किया है। इस लिहाज से उत्तराखंड में किए गए सर्वे में 80 फीसदी ( 47+31) वोटर्स अपने मुख्यमंत्रियों के प्रदर्शन का समर्थन नहीं करते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्रियों की नापसंदगी की ये अपने आप में भारी रेटिंग है।

उत्तराखंड के तीनों सीएम और कैप्टेन अमरिंदर सबसे अलोकप्रिय रहे हैं। सर्वे एजेंसी ने पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांत का पालन करते हुए इस सर्वे का कच्चा डेटा भी नए एनालिसिस और आगे के लिए रिसर्चर्स की खातिर अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है।

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