पहाड़ की बेटी रीना राठौर तीन अधिकारी पद की नौकरी ठुकरा कर बनी DSP, पेश कर रही मिसाल… पढ़े रीना के संघर्ष की कहानी…

देहरादून। दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते खुद ब खुद बनते जाते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उत्तराखंड की बेटी रीना राठौर ने। वह तीन अधिकारी पद की नौकरी को छोड़ अब पुलिस विभाग में पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) बन गई हैं। उनकी यह उपलब्धि पहाड़ की बेटियों को प्रेरणा देने वाली है।

टिहरी गढ़वाल के मुनिकीरेती में किसान परिवार में जन्मीं रीना राठौर की पढ़ाई पहाड़ के आम बच्चों की तरह सरकारी स्कूलों में हुई। पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल होने के चलते वह हर कक्षा में पहले स्थान पर आई। उच्च शिक्षा के लिए वह ऋषिकेश आईं, जहां उन्होंने पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर कालेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण रीना के कंधों पर सभी की जिम्मेदारी थी।

 

कालेज में अच्छे अंक प्राप्त होने के बाद उन्हें उस समय के मुख्यमंत्री रहे भुवनचंद्र खंडूड़ी ने स्कालरशिप के तौर पर 55 हजार रुपये दिए। इसके बाद वह आइएएस की तैयारी करने के लिए दिल्ली चली गईं। रीना राठौर का चयन खंड विकास अधिकारी के पद पर हुआ, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से परीक्षा देने के बाद उनका चयन उप शिक्षा अधिकारी के पद पर हुआ। उन्होंने इस पद पर रहते हुए द्वारीखाल, नारसन व रुड़की में कुछ साल नौकरी भी की।

रीना का चयन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में असिस्टेंड कमांडेंट के पद पर भी हुआ, जहां कुछ समय काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी। अब उनका चयन उत्तराखंड पुलिस में बतौर डिप्टी एसपी के तौर पर हुआ है। गुरुवार को पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेंद्र नगर में आयोजित पासिंग आउट परेड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रीना राठौर को सर्वोत्तम प्रदर्शन करने पर स्वार्ड आफ आनर से सम्मानित किया।

रीना राठौर कहती हैं कि उनका सपना चिकित्सक बनकर जरूरतमंदों की सेवा करना था, लेकिन डाक्टरी की पढ़ाई में खर्चा अधिक होने के कारण वह एमबीबीएस नहीं कर पाईं। उनके मामा ने उन्हें आइएएस की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि वह आगे चलकर आइएएस की तैयारी करेंगी।

रीना ने बताया कि पहाड़ में पांचवीं कक्षा के बाद अंग्रेजी का पाठ्यक्रम शुरू होता है, जिसके कारण बच्चों का नवोदय विद्यालय में दाखिला नहीं हो पाता। जब वह द्वारीखाल में उप शिक्षा अधिकारी थीं तो उन्होंने कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट सुपर 50 चलाया। खुद के खर्चे पर बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा दी, जिसकी बदौलत 15 से अधिक बच्चों का दाखिला नवोदय विद्यालय में हो पाया।

रीना राठौर की सफलता पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उन्हें बधाई दी। ट्विटर पर दी बधाई में डीजीपी ने कहा कि पुलिस उपाधीक्षक प्रशिक्षण में 17 प्रशिक्षुओं में सर्वोत्तम प्रदर्शन कर रीना राठौर ने स्वार्ड आफ आनर का सम्मान अर्जित किया।

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