देहरादून– प्रदेश में जहां कोरोना के मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है वही कई मरीज जो जिंदगी की जंग हार जा रहे हैं उनके परिवार को उनके दाह संस्कार के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ रहा है वही हालात तो यह है अगर किसी परिवार में किसी को रोना मरीज की मौत होती है और उन्हें शमशान तक ले जाने वाला कोई नहीं है तो पड़ोसी भी मदद नहीं कर रहे हैं हालांकि कई मामलों में उत्तराखंड पुलिस ने मानवता का परिचय जरूर दिया है वही हालात यह है कि कोविड-19 श्मशान घाट में टोकन लेकर अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था की गई है ऐसे में शासन को भी श्मशान घाट और कब्रिस्तान ओं की व्यवस्था संभालने के लिए अधिकारी नियुक्त करने पड़ रहे हैं प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन को इसकी जिम्मेदारी दी गई है कि शहरी क्षेत्र में सैनिटाइजेशन कराए जाने तथा श्मशान घाटों की व्यवस्थाओं को ठीक रखने का काम उनके जिम में रहे ऐसे में क्यों आंकड़े आए हैं वह भी यह बताने के लिए काफी है कि कोरोनावायरस कितनी तेजी से फैल रहा है सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 91 निकाय हैं जिनमें 295 कब्रिस्तान और श्मशान घाट है जिसमें प्रतिदिन 15 से 31 शवों का अंतिम संस्कार किए जाने की व्यवस्था है 20 अप्रैल 2021 से 1 मई 2021 तक या नहीं केवल 11 दिनों में 1348 व्यक्तियों तथा 2 मई को 175 व्यक्तियों का कोर्ट से संबंधित घाटों पर अंतिम संस्कार किया गया है दिनांक 20 अप्रैल से 2 मई तक कुल 1523 व्यक्तियों का कोविड-19 घाटों पर अंतिम संस्कार किया गया है हालांकि इन घाटों पर स्थानीय लोगों द्वारा कुछ संख्या में सामान्य दशा में मृत्यु प्राप्त व्यक्तियों का भी अंतिम संस्कार किया गया है 20 अप्रैल 2021 से 1 मई 2021 तक 2402 तथा 2 मई को 272 मृत व्यक्तियों के सामान्य कारणों से मृत्यु होने के उपरांत संस्थान ग्रहों तथा कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया है इस प्रकार कुल 2674 शवों का श्मशान ग्रहों और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया यानी कोरोनावायरस से मरने वालों और और अन्य कारणों से मरने वालों की कुल संख्या 4197 रही है इन मात्र 10 से 12 दिनों के अंदर साफ है आंकड़े बताते हैं कि हालात कितने खराब है शासन का साफ कहना है कि अंतिम संस्कार जैसे कार्यों में किसी भी तरीके की परेशानी नहीं आएगी