इसी कारण उत्तराखंड में भी कोरोना सक्रंमण गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। रोजाना यहां पांच हजार के करीब संक्रमित मिल रहे हैं। इसी तरह संक्रमितों व अन्य लोगों की मौतें भी हो रही हैं। इसी कारण देहरादून के रायपुर में कुछ ऐसा हृदय विदारक नजारा देखने को मिला। श्मशान के अंदर चिताओं की कतारें थीं तो बाहर एंबुलेंस की। वहीं, ऋषिकेश में रविवार को कुल 173 कोरोना संक्रमित मिले। वहीं 17 मरीज स्वास्थ्य होकर अपने घर लौटे। इसके अलावा 210 मरीज अभी भी कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं।
उत्तराखंड में कोरोना : एसडीआरएफ कराएगी लावारिस शवों का संस्कार, डीजीपी ने दिए निर्देश
तीर्थनगरी के लक्ष्मणझूला, मुनिकीरेती और ऋषिकेश क्षेत्र में 173 मरीज कोरोना संक्रमित मिले । राजकीय चिकित्सालय के नोडल अधिकारी एसएस यादव ने बताया कि रविवार को 55 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, जिसमें 13 रैपिड एंटीजन और 42 लोग आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं।
199 लोगों को कोविड-19 जांच की गई। 42 लोग होम आइसोलेट हैं, 55 लोगों को कोविड-19 कीट दी गई। 20 लोग सरकारी अस्पताल के कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं। टिहरी जिला प्रशासन को फकोट ब्लॉक स्वास्थ्य विभाग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में 86 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। 529 लोगों का आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट हुआ।
मुनिकीरेती स्थित ऋषिलोक कोविड केयर सेंटर से 16 मरीज स्वास्थ्य होकर घर लौट गए हैं। 167 मरीज अभी भी कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं। उधर, यमकेश्वर ब्लॉक के स्वास्थ्य प्रभारी डा. राजीव कुमार ने बताया कि लक्ष्मणझूला क्षेत्र में 32 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।322 लोगों की कोविड-19 जांच की गई है। कोविड केयर सेंटर से एक मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर लौट गया है। कोविड केयर सेंटर में अभी भी 23 मरीज भर्ती हैं।
शव दाह संस्कार में उपयोग की जाने वाली लकड़ियों की कमी को देखते हुए हरिद्वार में लगे गोबर की लकड़ी के प्लांट से अब गोबर से निर्मित लकड़ियां चंद्रेश्वनगर स्थित मुक्तिधाम शमशान घाट में पहुंच रही हैं। जो शमशान घाट में छह सौ से सात सौ रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दाह संस्कार करने वाले लोगों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह लकड़ी सामान्य लकड़ियों के साथ दी जा रही हैं।
मुक्तिधाम के अध्यक्ष अनिल किंगर ने बताया कि पहले एक मृतक के दाह संस्कार के लिए चार क्विंटल लकड़ी दी जा रही थी, लेकिन अब लगातार आ रहे मृतकों के शवों के संस्कार किए जाने के लिए लकड़ियों की कमी हो रही है।इस कमी को दूर करने के लिए अब उन्होंने गोबर की लकड़ी देने का निर्णय लिया है। कहा वे चार की जगह अब तीन क्विंटल लकड़ी और एक क्विंटल गोबर से निर्मित लकड़ी देंगे। कहा गोबर की लकड़ी का शव संस्कार में प्रयोग सफल रहेगा तो वे प्रदेश सरकार से इसका प्लांट ऋषिकेश में भी लगाने की मांग करेंगे।

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