देहरादून: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल रंग ला रही है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड जैसे कई राज्यों से आगे निकल गया है, यानि त्रिवेंद्र सरकार, जीरो टोलेरेंस की नीति से प्रदेश की जनता को सुशासन देने में कामयाब हो रही है।
‘ट्रांसपेरेंसी इंडिया’ के साल 2019 के सर्वे के मुताबिक, देश के कई राज्यों के मुकाबले रिश्वतखोरी के मामलों पर उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने बेहतर ढंग से कार्य किया है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों को उत्तराखंड ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में पछाड़ा है। इन राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में सरकारी कामकाज के लिए रिश्वत देने के मामलों पर रोक लगाने के लिए अच्छा प्रबन्धन किया गया है।
मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार ने सचिवालय से दलालों के सफाये के साथ ही भू-माफिया, खनन माफिया और शराब माफियाओं पर भी प्रभावी ढंग से नकेल कसी है। त्रिवेंद्र सरकार ने बीते साढ़े तीन साल में प्रदेश सरकार ने ऐसे कई कदम उठाये हैं, जिनसे कई विभागों में पहले से चले आ रहे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लगा दी गई है। त्रिवेंद्र सरकार की पहल पर एनएच 74 जैसे बड़े घोटाले मामले पर सरकार बनने के तुरंत बाद एसआइटी के गठन और दर्जनों लोगों के जेल जाने से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के इरादे स्पष्ट हो गए थे।
प्रदेश की त्रिवेंद सरकार के जीरो टालरेंस की नीति अपनाने के बाद अब तक भ्रष्टाचार के लगभग ढाई दर्जन मामलों में कड़ी कार्यवाही करके 55 से अधिक दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये गये अभियान के तहत खाद्य विभाग में ऊधम सिंह नगर जिले में सरकार ने करीब 600 करोड़ रुपये का चावल घोटाला पकड़ा। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में एसआइटी द्वारा डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) में करोड़ों रुपये की बकाया राशि की वसूली में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की गई। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने खनन पट्टों की ई-नीलामी की प्रक्रिया लागू कर अनियमितताओं की सभी संभावनाएं समाप्त कर दी हैं।
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने और आम जनता से लेकर सरकारी ठेकों की नीलामी को ऑनलाइन बनाकर जनता का अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों से संपर्क सीमित किया गया। मुख्यमंत्री रावत ने विभिन्न मंचों से यह स्पष्ट भी किया है कि प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति अपनाते हुए सत्ता के गलियारों से दलालों का पूरी तरह सफाया कर दिया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र यह भी एलान कर चुके हैं कि, जब तक राज्य की बागडोर उनके हाथ में रहेगी, उस दिन तक भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रति पल, प्रति क्षण अभियान जारी रहेगा।