पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लिखते है कि 

हर #मुख्यमंत्री को हक है कि वो अपनी #उपलब्धियों को प्रचारित करे, मगर उस प्रचार में कुछ तथ्य होने चाहिये। खैर इस बहस को मैं यहीं पर छोड़कर उनकी पार्टियों के ढोलचियों द्वारा उठाये गये 2 सवालों पर कुछ तथ्य राज्य की जनता के सम्मुख रखना चाहता हूं। हमारे कार्यकाल में जितनी महिलाओं की भर्ती पुलिस विभाग में, पी.आर.डी. में और होमगार्ड्स में भी, काश #त्रिवेंद्र_सिंह जी के साढे़ 3 साल के कार्यकाल में इतनी भर्तियां सारे राज्य में हुई होती, विकास के दावे ठोके जा रहे हैं, यदि विकास देखना है तो जो दल-बदल कर कांग्रेस से भाजपा में गये उनके निर्वाचन क्षेत्रों में जाकर देख लीजिये, वहां जितने भी #विकास_कार्यों के बोर्ड लगे हैं उसके 1/10वां हिस्सा भी बोर्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह जी के कार्यकाल के नहीं हैं, 90% बोर्ड हरीश रावत के कार्यकाल के हैं, अभी तो त्रिवेंद्र सिंह जी आप डोईवाला में भी 50-50 विकास कार्यों को नहीं ला पाये हैं। जिस ऑल वेदर रोड, पहली बात तो यह है कि ऑल वेदर रोड नहीं है, ये #चारधाम यात्रा सुधार परियोजना है, ये परियोजना की डी.पी.आर. बनने से लेकर के स्वीकृति से लेकर शिलान्यास मेरे कार्यकाल में हुआ था और मेरी अध्यक्षता में हुआ था, जिन मेडिकल कॉलेजों का बखान कर रहे हैं वो सब मेडिकल कॉलेज भी मेरे ही कार्यकाल में स्वीकृत हुये थे, बल्कि इनमें से कुछ मेडिकल कॉलेजों का मैंने नामकरण भी कर दिया था। विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, आप दूसरे के सर का टीका मिटाकर अपने सर को नहीं चमका सकते हैं, अपने सर को चमकाना है तो खुद कुछ पहल करिये और जब पहल होगी तो हमारी तरफ से तालियां बजेंगी।

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