ख़बरों के नेटवर्क में सबसे बड़ी ख़बर : उत्तराखंड में चावल के नाम पर लगभग 600 करोड़ का घोटाला !
उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला स्पेशल ऑडिट में आया सामने।
जी हा देवभूमि उत्तराखंड में 600 करोड़ के चावल घोटाले में हर स्तर पर घपला होने की पुष्टि अब ऑडिट की विशेष जांच रिपोर्ट से भी हो चुकी है है।
उत्तराखंड के सचिव वित्त अमित सिंह नेगी ने 2015-16 और 2016-17 की यह जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव खाद्य को भेज दी है।
इस रिपोर्ट से जाहिर है कि धान खरीद से लेकर मिलिंग, पैकिंग, गोदामों तक पहुंचाने के दौरान हर स्तर पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई।ओर तो ओर पीडीएस तक चावल पहुंचाने वाले स्टेट पूल तक को भी नहीं बख्शा गया
अगर पीछे जाये तो उत्तराखंड में चावल घोटाला साल 2017 में सामने आया था।
ओर इसकी जांच एसआईटी ने भी की थी और लगभग छह सौ करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान भी जताया था।
पहाड़ में बसने वाले गरीब के कोटे के चावल में हेरा फेरी से लेकर अन्य कई मामले सामने आए थे। तो कुछ अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था।
ख़बर बता रही है कि
अब स्पेशल ऑडिट में भी ये बात सामने आई है कि इस घोटाले में हर स्तर पर खेल खेला गया।
ओर तो ओर नोटबंदी का भी फायदा लिया गया और बोरों तक में करोड़ों के रुपये बनाए गए।
इस रिपोर्ट के अनुसरण खाद्य सुरक्षा में ही सरकार को इससे लगभग 18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बोरों की प्रतिपूर्ति में ही लगभग 43 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान दिखाया गया।
ओर सुन ले महत्वपूर्ण बात
यह तब है जबकि स्पेशल ऑडिट टीम संबंधित पक्षों की ओर से सहयोग न करने के कारण पूरी जांच भी नहीं कर पाई।
आइये जानते है ऑडिट रिपोर्ट के महत्वपूर्ण मुख्य बिंदु
1. राज्य पोषित योजना के तहत अनुबंध किए बिना ही मिलरों से लगभग 250 करोड़ रुपये का चावल खरीदा गया।
2. नोडल एजेंसी मंडी समितियों ने मंडी की बजाय बाहर से धान खरीद में सहयोग किया। इससे किसानों को एमएसपी नहीं मिला। मंडियों ने न तो आढ़तियों के खाते जांचे और न ही खरीदे गए धान का निरीक्षण किया।
3. कच्चा आढ़तियों से धान से चावल बनाने की प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया।
4. खरीफ सत्र 2015-16 और 2016-17 में राज्य सहकारी विपणन संघ ने जितना धान खरीदा उससे ज्यादा चावल गोदामों में एकत्र किया। मिलरों से 1.18 करोड़ रुपये का चावल लेना टाला गया और 30.38 लाख रुपये का अधिक भुगतान किया गया।
5. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के केंद्रों ने दो लाख रुपये से अधिक मूल्य का चेक जारी किया, सत्यपान किए बिना खरीद की और कांटे पर तौल की मात्रा से अधिक की खरीद की।
6. स्टेट पूल के गोदामों में भी कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं।
7. राष्ट्रीय खाघ सुरक्षा के तहत 18.27 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।
8. आढ़तियों और मिलरों ने नए बोरों की प्रतिपूर्ति में 43.38 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान दिखाया।
9. सीएमआर के चावल के ढुलान में करीब 30 लाख रुपये का अधिक भुगतान, राज्य खाद्य योजना के तहत 40 लाख का अधिक भुगतान हुआ।
10. सुखाई कुटाई के मद में 8.63 लाख का अधिक भुगतान, मंडी शुल्क और वेट पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं। मूवमेंट चालान और बिलों में भी गंभीर खामियां मिलीं।
10. कच्चा आढ़तियों की खरीद में करीब 30 लाख रुपयेे का अंतर सामने आया है।
11. राज्य सरकार का साफ आदेश था कि धान की खरीद मंडियों में कच्चा आढ़तियों के जरिए होगी।
सूत्र बतते है कि जांच के लिए दस्तावेज भी पूरे नहीं मिले।
ख़बर है कि शासन ने किसानों को किए गए भुगतान की जांच के लिए अलग से कमेटी बनाई थी।
इस कमेटी को 2015-16 में 350 में
304 और 2016-17 में 400 में से
361 आढ़तियों ने भी साक्षय दिए। 1781 करोड़ रुपयेे का धान खरीदना बताया गया। साक्ष्य न होने के कारण लगभग 217 करोड़ रुपये की धान खरीद की पुष्टि नहीं हुई।
ओर सुनिए ख़बर है कि नोटबंदी में भी खूब उठाया गया था फायदा
रिपोर्ट में यह भी खुलकर सामने आया कि नोटबंदी के बाद लगभग 408.45 करोड़ रुपये का नगद भुगतान किया गया था इसमें से 217 करोड़ रुपये के साक्ष्य नहीं मिले। कुल भुगतान का 65 प्रतिशत बैंक के जरिये, 12 प्रतिशत नकद भुगतान नोटबंदी के दौरान और बाकी का 23 प्रतिशत नकद भुगतान नोटबंदी के अलावा किया
बहराल कोरोना काल से निपटने के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियां
चुनावी मोड़ में होगी ओर उस दौरान तीसरा विकल्प के तौर पर आम आदमी पार्टी अपनीं उत्तराखंड में दस्तक दे चुका होगा
जो समय समय की भाजपा ,कांग्रेस
की सरकारों पर करारे वार करता दिखाई देगा।
क्योंकि उत्तराखंड की राजनीति में अब तक भाजपा और कांग्रेस ने जमकर राज किया है।इसके साथ ही भाजपा फिर से प्रहार अपने विपक्षी पार्टियों पर करती दिखाई देगी तो उत्तराखंड मे त्रिवेंद्र सरकार का लचर ओर कमज़ोर मीडिया मैनेजमेंट त्रिवेंद्र सरकार को नुकसान पहुचायेगा जिसका फायदा अन्य दल उठा लेगे ! सूत्र बताते है कि त्रिवेंद्र सरकार की सबड़े बड़ी कमजोरी साढ़े तीन साल मैं मीडया मैनजमेंट ही रहा है त्रिवेंद्र की ईमादार छवि , भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार राज्य हित में महत्वपूर्ण और महत्वकांक्षी योजनाएं ,केंद्र का पूरा राज्य को समर्थन होन के बावजूद भी त्रिवेंद्र सरकार को उस हद तक लोकप्रिय की भूमिका मैं खड़े नही कर पाये जहा त्रिवेंद्र सरकार को होना था ।