पिछले इन तीन सालों के दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले लिए तो कुछ चुनौतियां भी झेलीं। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के निर्णय के साथ चारधाम देवस्थानम बोर्ड गठन को वह सबसे बड़ा फैसला मानते हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति को वह अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं। उनका कहना है कि राजनीति में अड़ियल होना जरूरी है।
त्रिवेंद्र ने उत्तराखंड के आठवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली ओर कई अहम मसलों पर बेबाकी से समय समय पर मीडिया के सवालो का जवाब दिया
चुनाव जीतने से पहले भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा था। वन, खनन, शराब और ट्रांसफरों में सरकारी भ्रष्टाचार व्याप्त था। भ्रष्टाचारियों को सरकारी संरक्षण मिला हुआ था। हमने तय किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस रहेगा। सरकार बनने के बाद एनएच 74 घोटाले की जांच करवाई। कई पीसीएस और अन्य अधिकारियों को जेल भेजा। दो आईएएस अफसरों को सस्पेंड किया। सरकार तीन साल में डेढ़ सौ से अधिक भ्रष्ट लोगों को सलाखों के पीछे भेज चुकी है: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
त्रिवेंद्र अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे मैं कहते है कि बुनियादी सुविधाओं के विकास में रिकार्ड काम हुए हैं। सड़क, बिजली, पानी की समस्या, बढ़ती महंगाई पर काबू पाने में सरकार ने बेहतर काम किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ। सरकारी अस्पतालों में पिछले 17 सालों में डाक्टरों की संख्या को 1100 से बढ़ाकर ढाई हजार किया। जिला अस्पतालों में आईसीयू सेंटर बनाए। स्वास्थ्य संकेतकों में व्यापक सुधार हुआ है। शिक्षा में एनसीआरटी की किताबें शुरू की। कोर्ट के आदेश से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रुकी थी, जिस पर अब निर्णय आने से भर्तियां होंगी। सीपेट खोला गया, जिसमें प्रशिक्षण लेने के बाद शत प्रतिशत रोजगार मिलता है। पौने दो सौ करोड़ से देश की पांचवीं साइंस सिटी देहरादून में बन रही है। जल संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा काम हुआ। वर्षों से लंबित जमरानी बांध योजना को मंजूरी मिल गई है। सूर्यधार बांध निर्माण अंतिम स्टेज पर है। सौंग बांध जल्द आकार लेगा।
कोशिशों के बावजूद कृषि विकास दर में क्यों बढ़ोतरी नहीं हो रही इस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र कहते है कि इसका बड़ा कारण हैं कि प्रदेश में पारंपरिक खेती प्रकृति पर निर्भर करती है। सिंचित क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। नए क्षेत्रों पर काम किया जा रहा है। सुगंधित पौधों, फ्लोरीकल्चर, मत्स्य पालन में कई योजनाएं किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में काम कर रहे हैं। यह प्रयास कुछ वर्षों में किसानों की आय बढ़ाने में कारगर साबित होंगे।