इरफान अहमद

साल था 2004, उत्तराखण्ड निर्माण के दौरान हरिद्वार बाहर निकालो का जोश अब ठंडा पड चुका था। हरिद्वार की आवाम के मिजाज को भांपते हुए इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले हरिद्वार के पुराने नेता अंबरीष कुमार भी अब इस मुद्दे से किनारा करने लगे थे। लेकिन उनकी स्थानीय लोगों को महत्व दिए जाने की लडाई जारी थी। तब अंबरीष कुमार समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे लेकिन जनता सपा से किनारा कर चुकी थी और अंबरीष कुमार अपना वजूद बचाने को लड रहे थे।
इसी बीच हरिद्वार के व्यापारियों और पुलिस के बीच उपजे विवाद के बाद हुए संघर्ष ने दबी चिंगारी को सुलगा दिया और अंबरीष कुमार ने इसे भुनाने में जरा भी देर नही लगाई। लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी और सपा के उम्मीदवार थे राजेंद्र बाडी, जिनकी पहचान एक सभासद के तौर पर थी। लेकिन, बदले हालातों में ​अंबरीष कुमार ने लोगों के गुस्से को भुनाया और हरिद्वार राजेंद्र बाडी को सांसद बनवा दिया। राजेंद्र बाडी सपा के टिकट पर जीतने वाले पहले सांसद बने।
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि उस वक्त ना तो सपा का इतना वजूद था और ना ही जनता सपा को पसंद करती थी। लेकिन, एक घटना ने सारा समीकरण बदल​ दिया। अंबरीष कुमार ने हरिद्वार के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को मुद्दा बनाया और जनता ने इसे हाथों हाथ लिया। लिहाजा, राजेंद्र बाडी जो एक मामूली नेता हुआ करते थे और पुलिस की फाइलों में जो हिस्ट्रीशीटर थे, उनको हरिद्वार की जनता ने चुन लिया। राजेंद्र बाडी को भले ही अंबरीष कुमार ने जितवा दिया हो लेकिन वो सपा का वजूद नहीं बचा पाए। आखिरकर उन्होंने सपा को अलविदा कह दिया। इसके बाद वो कभी निर्दलीय तो कभी कांग्रेस के साथ हुए।
पिछले काफी समय से वो कांग्रेस में हैं और इस बार कांग्रेस ने उन्हें हरिद्वार से अपना उम्मीदवार भी बनाया है। लेकिन क्या अंबरीष कुमार 2004 वाला कारनामा दोहरा सकते हैं ये बहुत बडा सवाल है। क्योंकि अब उस तरह के हालात नहीं है और हरिद्वार बाहर निकालो का नारा अब ​बिल्कुल खत्म हो गया है। हां ये जरूर है कि स्थानीय और बाहरी को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेता आवाज बुलंद करते रहे हैं। अंबरीष कुमार को टिकट स्थानीय बाहरी की लडाई के आधार पर ही मिला है। क्योंकि तमाम स्थानीय कांग्रेसियों ने हरिद्वार के स्थानीय नेता को टिकट दिए जाने की मांग की थी।
वरिष्ठ पत्रकार डोभाल बताते हैं कि कांग्रेस के नेता स्थानीय बाहरी का मुद्दे को हवा तो दे ही रहे हैं लेकिन हरिद्वार की सबसे बडी समस्या बेरोजगारी और किसानों की स्थिति हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की स्थिति किसी से छिपी नही है। हरिद्वार के शहरी क्षेत्रों में भी विकास दम तोड रहा है यहां हाईवे का निर्माण पूरा नहीं हुआ है और कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। वहीं भाजपा के मौजूदा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक भी मंझे हुए खिलाडी है और वो भी अपनी उप​लब्धियों को गिना रहे हैं। स्थानीय भाजपा विधायकों और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का साथ उनकी ताकत है।

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