सह संपादक अमित मंगोलिया
संपादक पीयूष वालिया

हरिद्वारः “आसोज सुद दो दिवस संवत् बीस इक्कीस, मध्याह्न ढाई बजे मिला ईश से ईश” इन पंक्तियों के साथ ही आज, दोपहर ढाई बजे संतश्री आशारामजी बापू आश्रम में, भक्तों के हर्ष व उल्लास का ऐसा अद्भुत दृश्य देखने को मिला कि उपस्थित हर व्यक्ति आश्चर्यचकित रह गया। अश्विन नवरात्रि के दूसरे दिन करोड़ों भक्तों के गुरूदेव आशारामजी बापू का आत्मासाक्षात्कार दिवस विश्वभर में मनाया जाता है। आत्मा का परमात्मा के साथ एकाकार होने का नाम है- “आत्मसाक्षात्कार”। यह मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज से 56 वर्ष पूर्व बापूजी को पूर्ण गुरुकृपा के फलस्वरूप ईश्वर प्राप्ति हुई थी। भक्तों के लिये यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

आश्रम मीडिया प्रभारी अलका शर्मा ने बताया कि बापूजी का आत्मसाक्षात्कार दिवस देश-विदेश के सभी आश्रमों में धूमधाम से मनाया जाता है । इस अवसर पर गरीब व पिछड़े इलाकों में भंडारे तथा जीवनोपयोगी सामग्री जैसे वस्त्र, बर्तन, जूते, छाते, टोपीयों, दक्षिणा आदि का वितरण किया जाता है । बच्चों में कापियाँ, पेन-पेन्सिल, तुलसी टाफियों के पैकेट बाँटे जाते हैं । हरिद्वार आश्रम में भी आज गरीब व पिछड़ी बस्तियों से बच्चों को आमंत्रित किया गया और सत्संग एवं भण्डारे के बाद, उनमें विद्यार्थी जीवन के लिये उपयोगी सामग्री का वितरण भी किया गया।
इससे पूर्व सर्वपितृ दर्श अमावस्या पर हरिपुर कलाँ स्थित आश्रम में सामूहिक श्राद्ध का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में दूर-दूर से आये लोगों ने इसमें भाग लिया। उल्लेखनीय है कि सामूहिक श्राद्ध का ऐसा बड़ा आयोजन इस आश्रम में, प्रतिवर्ष किया जाता है । जिसमें प्रति व्यक्ति खर्च बहुत ही कम आता है व समूह में करने से फल भी अधिक होता है। श्राद्ध करने वालों को आवश्यक सामग्री आश्रम में ही उपलब्ध करायी जाती है। विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ सामूहिक श्राद्ध कराया जाता है । इसमें कोई भी भाग ले सकता है। संतश्री आशारामजी बापू आश्रमों द्वारा की जा रही यह समाज सेवा बहुत ही सराहनीय है।

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