मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत अभियान कोविड-19 की विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के साथ ही आधुनिक भारत की पहचान भी बना रहा है।


आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
मीडिया सेंटर सचिवालय में आयेाजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में एमएसएमई क्षेत्र को कई तरह की रियायतें देते हुए मजबूती प्रदान की गई।
साथ ही गरीबों, किसानों श्रमिकों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपए के पैकेज की घोषणा के बाद केवल डेढ़ माह की अवधि में ही इसके सकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगे हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा ‘वोकल फाॅर लोकल एंड मेक इट ग्लोबल’ के लिए किए गए आह्वान को सभी देशवासियों का समर्थन मिला है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रूपए के कोलेटरल फ्री ऋण की व्यवस्था की गई।
एमएसएमई के लिए 50 हजार करोड़ रूपए का ‘फंड्स आॅफ फंड’ भी बनाया गया है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के मानकों में सुधार किया गया है। इससे इन उद्यमों को विस्तार का अवसर मिलेगा जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजित होगा। उद्योगों और श्रमिकों के लिए तीन महीने तक ईपीएफ सपोर्ट दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की परिस्थितियों में गरीबों, किसानों और मजदूरों की सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री ने 1.70 लाख करोड़ रूपए की घोषणा की।
इसके तहत प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि की तीन माह की अग्रिम किस्तें किसानों के खातों में जमा की गई। महिला जन-धन खाताधारकों के खातें में 500-500 रूपए की तीन किस्तें जमा की गईं।

उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक महिलाओं को तीन गैस सिलेंडर मुफ्त दिए गए।
दिव्यांगों, विधवाओं और बुजुर्गों को भी 1 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी गई।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में देश के 80 करोड़ लोगों को राहत देने के लिए अप्रैल,मई व जून तीन माह के लिए निशुल्क खाद्यान्न दिया गया।
अब इस योजना को नवम्बर माह तक बढ़ा दिया गया है। इसमें हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहू या चावल और प्रति परिवार 1 किलो चना नवम्बर तक निशुल्क मिलता रहेगा।  इस योजना पर लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपए खर्च होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा में केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त आवंटन किया।
ओर उत्तराखण्ड में ही मनरेगा में 36 हजार नए लोगों को काम उपलब्ध करवाया गया है।
6 राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए गरीब कल्याण रोजगार योजना शुरू की गई है। किसानों के लिए भी बहुत से कदम उठाए गए। किसानों के हित में अनेक फार्मिंग रिफार्म किए गए हैं। किसानों को फसल पर लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया गया।
केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों पर एमएसपी को बढ़ाया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी काफी महत्वपूर्ण है।
अर्थव्यवस्था में कोविड-19 के प्रभाव से उबारने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार भी किए गए हैं। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बल दिया गया है। पीपीपी माॅडल पर हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की परिस्थितियों में सबसे अधिक सुधार स्वास्थ्य क्षेत्र में किया गया है। कोरोना संक्रमण की शुरूआत में पीपीई किट का निर्माण नहीं होता था। अब देश में पीपीई किट का इतनी अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा रहा है कि इनका निर्यात भी किया जाने लगा है। वेंटीलेटर, एन-95 मास्क भी बडे स्तर पर बनाए जा रहे हैं। इनके निर्माण में अनेक स्टार्टअप आगे आए हैं।
चीन के विभिन्न मोबाईल एप पर प्रतिबंध लगाने के बाद स्वदेशी एप बनाए गए हैं।  
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वापिस लौटे प्रवासियों और युवाओं के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई है। इसमें 150 प्रकार के कामों को लिया गया है।          

उत्तराखंड में चीनी निवेशकों और चीनी सामान बेचने वालों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने झटका दिया है
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने   बड़ी घोषणा करते हुए साफ कहा कि प्रदेश में अब किसी भी विभाग में मशीनों ,कलपुर्जे चाइनीज उपयोग नहीं करेंगे सीएम त्रिवेंद्र ने कहा की हमने इसपर फैसला ले लिया है
वहीं उनके अनुसार हम धीरे धीरे तमाम सामानों को कम करेंगे बहराल साफ है कि उत्तराखंड में ऊर्जा क्षेत्र में बिजली के मीटर हो या ट्रांसफार्मर सभी में चीन का सामान उपयोग होता है इसके अलावा अन्य कई मशीनों में भी चीन के सामान का उपयोग किया जाता है ऐसे में धीरे-धीरे उनको रिप्लेस किया जाएगा और उनका विकल्प भी दिया जाएगा।

 

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